Thursday, October 13, 2011

संक्रामक रोगों मे रामबाण है तुलसी



हमारे देश मे सभी हिन्दुओं के घरों मे तुलसी के पौधे पाए जाते हैं तथा बड़ी श्रद्धापूर्वक पूजा की जाती है. इसकी कई प्रजातियाँ पाई जाती हैं. लेकिन दो मुख्य हैं, सफेद तुलसी - राम तुलसी तथा काली तुलसी या श्याम तुलसी. दोनों के रंग मे अंतर होता है लेकिन गुण एक जैसे ही होते हैं.
तुलसी को अलग अलग भाषाओँ मे अलग अलग नामों से जाना जाता है. जैसे संस्कृत में गौरी, सुलभा या वृंदा, कन्नड़ में श्रीतुलसी, अंग्रेजी में होली बेसिल इत्यादि. लैटिन भाषा में इसे औसिमम सेंक्ट्म (Ocimum sanctum ) का नाम दिया गया है. भगवान विष्णु को प्रिय होने के कारण तुलसी को हरिप्रिया तथा विष्णुप्रिया भी कहा गया है. भारतीय संस्कृति में तुलसी में समस्त देवताओं का निवास बताया गया है. अतः जो लोग उसकी पूजा करते हैं उन्हें अनायास ही सभी देवताओं की पूजा का लाभ मिल जाता है, ऐसा कहा गया है. तुलसी एक परम रोगाणुनाशक पौधा है जिसे लगाने व रक्षा करने, पानी देने, छूने तथा देखने मात्र से वाणी, मन व काया के समस्त दोष दूर होते हैं. हिन्दू संस्कृति मे इसके धार्मिक महत्व को इसी से समझा जा सकता है की पूजा के  जल तथा  भगवान  के  प्रसाद ( चरणामृत) बनाने में तुलसी का उपयोग अनिवार्य है.
तुलसी के प्रयोग
तुलसी के पते, फूल, फल, जड़, छाल, तथा तना इत्यादि सभी पवित्र सेवनीय हैं. इसके हर हिस्से मे रोगाणुनाशक गुण होने से संक्रामक रोगों मे इनका अधिकतम प्रयोग किया जाता है. इन गुणों के कारण ही कहा जाता है कि जहाँ तुलसी का जंगल होता है वहां आसपास कोसों दूर तक वायुमंडल भी शुद्ध रहता है.
अनगिनत फायदे
तुलसी के अनगिनत फायदों के कारण ही इसे हिन्दू धर्म मे अत्यंत उच्च स्थान दिया गया है. हमे अधिक संख्या मे इसके पौधों का रोपण तथा इसका सेवन करना चाहिए. इसके पतों को पानी से ही निगलना चाहिए. क्योंकि इनमें प्राकृतिक रूप से पारा होने के कारण दांतों को नुकसान पहुँच सकता है.
पांव के अंगूठे से सिर तक निर्मल
यह वाणी (मुख, गला,दांत,मसूड़े व् फेफड़े) मन (ह्रदय,दिमाग,व नर्वस सिस्टम) और काया (पांव के अंगूठे से सिर तक) को निरोग व निर्मल कर देती है. इसीलिए इसे अमृत माना गया है. तुलसी के पतों का रस तथा नीबू का रस समान मात्रा मे लेने से सिर दर्द दूर होता है. इसके रस को कनपटी पर मलने से भी सरदर्द मे आराम मिलता है. भोजन के बाद २-२ तुलसी के पते मुंह मे रखकर चूसने से मुंह की दुर्गन्ध दूर होती है तथा दांतों व मसूड़ों के विकार मिटते हैं. दूषित पानी मे इसकी कुछ ताज़ी पतियाँ डालने से पानी का शुद्दिकरण भी किया जा सकता है.
पाचन व् स्मरण शक्ति बढाए
तुलसी ह्रदय के लिए हितकारी, पचने मे हल्की,कफ तथा वात को दूर करने वाली, रक्त विकार, उल्टी, हिचकी, पेट के कीड़े, मिर्गी तथा बुखार को दूर करने वाली है. इसकी ६-७ पत्तियों का प्रतिदिन सेवन करने से बहुत से रोग दूर होते हैं तथा बुद्धि,बल, स्फूर्ति और स्वस्थ्य अच्छा बना रहता है तथा पाचन शक्ति भी अच्छी रहती है. इसके दस पत्ते पांच काली मिर्च, पांच बादाम तथा थोडा सा शहद मिलकर ठंडाई की तरह पीने से स्मरण शक्ति बढती है.


4 comments:

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  2. It is a nice and informative blog. We should all propagate and plant more and more tulsi plants. Keep it up.

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  3. Nice and very useful blog. And very useful post on tulsi..

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  4. Very nice & useful information. Valuable to everybody.

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