Tuesday, December 13, 2011

गुडहल


गुडहल दिखने में सुन्दर एक बहुवर्षीय पौधा है,जो लगभग ४ से ८ फीट ऊंचा होता है.इसमें दो तरह की किस्में पाई जाती हैं जिनमें लाल तथा सफेद रंग के फूल लगते हैं जिनकी अपनी अलग अलग उपयोगिता है.इसके पत्ते चमकीले गहरे हरे रंग के होते हैं तथा इनके किनारे गुलाब के पत्तों की तरह कटे हुए होते हैं. यह प्रायः बागानों में अकेले अथवा हेजेस  बनाने में लगाया जाता है.गुड़हल का पौधा दिखने में सुन्दर होने साथ ही बेहद उपयोगी भी है तथा यह सारे भारत में पाया जाता है.
विभिन्न नाम:  इसे असमी  तथा बंगाली में जोबा, गुजराती में जसुवा, कन्नडा में दसवाल, कोंकणी में दासुन, मलयाली में चेम्बाराठी, संस्कृत में जपा तथा तमिल में सेम्परुथी तथा इंग्लिश में शू फ्लोवर एवं लेटिन में हिबिस्कस रोसा सिनेनसिस के नाम से जाना जाता है.
अधिकतर गुडहल के फूलों का उपयोग किया जाता है.
केश:
·         बालों के लिए गुडहल विशेष रूप से उपयोगी है.इसके फूलो को पीस कर बालों  में लगाने से वे बढ़ाते हैं तथा उन्हें पोषण मिलता है, गंजापन दूर होता है तथा सिर को शीतलता मिलती है.
·         इसके पत्ते भी बड़े गुणकारी होते हैं. इन्हें भी फूलों के साथ पीसकर १-२ घंटों के लिए बालों में लगाने से केश सम्बंधित समस्याएं दूर होती हैं.
·         इसके फूलों को पीसकर पावडर बना लें  तथा इसमे मेहंदी और हेयर  पैक में मिलाकर लगाने से भी बाल काले, चमकीले तथा लम्बे होते हैं.
मुंह के छाले:
·         इसके साफ फूलों को चबाने से मुहं के छालों में आराम मिलता है.
स्मरण शक्ति:
·         गुडहल के पत्ते तथा फूलों को सुखाकर पीस लें. इस पावडर की एक चम्मच मात्रा को एक चम्मच मिश्री के साथ पानी से लेते रहने से स्मरण शक्ति तथा स्नायुविक शक्ति बढाती है.
दर्द तथा सूजन:
·         इसके पत्तों को पानी के साथ पीसकर इस लेप को सूजन पर लगाने से दर्द तथा सूजन में आराम मिलता है.
अन्य रोगों में:
·         गुडहल के फूलों को सुखाकर बनाया गया पावडर दूध के साथ एक एक चम्मच लेते रहने से रक्त की कमी दूर होती है.
·         वात, खांसी व कफ में भी इन फूलों को पीसकर  एक एक चम्मच सुबह- शाम लेते रहने से आराम मिलता है.
·         इसका गुलकंद व शरबत बनाकर लेने से भी कई रोगों जैसे लू लगना, चक्कर आना, बेहोशी तथा सर दर्द इत्यादि में फायदा होता है.

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