सौंफ की खेती पूरे देश में की जाती है. यह लगभग सभी जगह पाई जाती है तथा प्राचीन काल से ही इसका उपयोग रसोई में तथा औषधि के रूप में किया जाता रहा है. इसका पौधा खुशबूदार होता है.
स्वाद में मीठी होने के साथ इसकी तासीर ठंडी होती है. सौंफ में कैल्शियम, आयरन, सोडियम तथा पोटेशियम जैसे अहम् तत्व होते हैं. यह आंतों की मरोड़ को तथा उलटी को शांत करने वाली औषधि है. भोजन के बाद रोजाना सौंफ लेने से कोलेस्ट्रोल काबू में रहता है. यूनानी दवाओं में सौंफ की बेहद सिफारिश की जाती है.
सौंफ के विभिन्न नाम
हिंदी में इसे सौंफ, संस्कृत में मिश्रेय या मधुरिका, गुजराती में वरियाली, कन्नड़ में सोंपू, तथा इंग्लिश में फेंनेल के नाम से जाना जाता है.
पाचन सम्बन्धी रोगों में प्रयोग
- सौंफ के बीजों से तेल निकाला जाता है. यह पेट के दर्द को दूर करने में सहायक होता है.
- सोते समय साफ पिसी सौंफ एक चम्मच पानी के साथ लेने से कब्ज दूर होता है.
- इसे घी में भूनकर मिश्री के साथ सेवन करने से डायरिया रोग में लाभ होता है. भोजन के बाद सौंफ का प्रयोग बहुत फायदा करता है.
- मुंह की दुर्गन्ध, अपच तथा कब्ज को दूर करती है. इसके अलावा यह मुंह के छालों में आराम देती है तथा गर्मी के कारण होने वाले रोगों में फायदेमंद होती है. पिसी सौंफ और काला नमक मिलाकर खाने से पेट दर्द में आराम होता है.
- इसे भूनकर बराबर की मात्रा में मिश्री मिलाकर पावडर बना लें. इसे आधा आधा चम्मच पानी के साथ लेते रहने से मरोड़, अपच और पेचिश में आराम मिलता है.
- इसकी पतियाँ भी भूख मिटाने तथा पाचन क्रिया में मदद करती हैं.
- सौंफ और मिश्री(अथवा शक्कर) को बराबर मात्रा में मिलाकर दूध के साथ सेवन करने से नेत्र ज्योति बढती है. नींद भी अच्छी आती है.
- गर्मियों में इससे बनी ठंडाई लेने से शरीर में शीतलता बनी रहती है. गर्मी से होने वाली बीमारियों में आराम मिलता है. दिमाग को शीतलता मिलती है. स्मरण शक्ति बढती है.
- सौंफ का प्रयोग कफ,खांसी तथा अस्थमा में लाभकारी है
- पिसी सौंफ को समान मात्रा में मिश्री के साथ सेवन करने से बवासीर रोग में आराम मिलता है.
- यह कोलेस्ट्रोल कम करने में भी मदद करती है.
- इसके प्रयोग से मासिक धर्म की अनियमितता दूर होती है.
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