Saturday, October 29, 2011

मेथी एक चमत्कारिक औषधि - पत्तियां गुणकारी, दाने फायदेमंद


इसके पत्ते संयुक्त तथा फूल छोटे तथा हल्के पीले रंग के होते हैं. यह मूल रूप से पूर्वी यूरोप तथा इथियोपिया में पाया जाता था तथा वहां से विश्व के दूसरे भागों मे फैला है. प्राचीन काल से ही इसका उपयोग मेडिटेरेनियन समुद्रतट तथा एशिया के लोगों द्वारा भोजन तथा औषधि के रूप में किया जाता रहा है.
मेथी के विभिन्न नाम:
हिंदी, गुजराती,मराठी व पंजाबी भाषा में इसे मेथी, संस्कृत में मेथिका, कन्नड़ में मेन्तिया, तेलुगु में मेंतुलु,अंग्रेजी में फेनुग्रीक तथा लेटिन में त्रायिगोनेल्ला फोएनम ग्रीकम के नाम से जाना जाता है.
मेथी के गुण अनेक:
यह गरम, कड़वी, हलकी, पौष्टिक - ज्वर, अरुचि,उलटी,कफ,खांसी दूर करने वाली एवं ह्रदय के लिए हितकारी है. इसके बीज भूख बढाने वाले तथा ज्वर तथा कृमिनाशक होते हैं.
प्रकृति का अनुपम उपहार:
मेथी दाना एक सस्ती  और सभी जगह मिलने वाली प्राकृतिक देन है. इसके पत्तों का उपयोग सब्जी बना कर किया जाता है जो बहुत ही पौष्टिक और सुपाच्य होती है. इसके पत्तों को सुखा कर भी इसका प्रयोग किया जाता है.

  • मेथी के लड्डू भी बनाये जाते हैं जो बहुत ही पौष्टिक होते हुए जोड़ों के दर्द, गठिया,कमर व पीठ के दर्द तथा सायटिका के दर्द को दूर करते हैं. इसके साथ ही सर्दी में उभरने वाले रोगों को दूर करते हैं .
  • प्रसव के बाद प्रसूता को मेथी के लड्डूओं  का सेवन कराने से गर्भाशय की शुद्धि होती है.

जोड़ों का दर्द: 

  • २०-३० मेथी के दाने ताजे पानी के साथ सेवन करने से जोड़ों का दर्द, गठिया, सायटिका आदि वात रोगों में लाभ  मिलता है.
  • मेथी के लड्डू भी इन रोगों में फायदा करते हैं.घुटने और शरीर के जोड़ मज़बूत बने रहते हैं तथा बुढापे में होने वाले रोगों में आराम मिलता है. 
  • रोज़ सुबह 5 ग्राम मेथी दाना पानी के साथ लेने से वृद्धावस्था में घुटनों तथा दूसरे जोड़ों के दर्द नहीं होते. 
  • सुबह खाली पेट एक चम्मच मेथी दाना लेने से खून में शर्करा(सुगर) की मात्रा भी कम होती है.

पेट के रोगों में प्रयोग: 

  • मेथी की सब्जी से अपच (indigestion ) और पेट के कई रोगों में आराम मिलता है. 
  • एक छोटी चम्मच मेथी दाना हल्के गरम पानी के साथ लेने से दर्द में फायदा मिलता है. 
  • इसके पत्तों के पकोड़े खाने से पेट की गेस्ट्रिक  समस्याओं में आराम मिलता है. 
  • भूख कम लगाने पर एक चम्मच मेथी दाने को देशी घी में भून कर बारीक पीस लें तथा थोड़ा थोड़ा शहद मिलकर एक महीने तक सेवन करने से लाभ मिलता है.

चोट व सूजन:

  • इसके पत्तों को पीस कर पुल्टिस तैयार कर चोट या सूजे हुए अंग पर बाँध दे, इससे चोट के दर्द एवं सूजन में आराम होगा.

पेट के कीड़े: 

  • बच्चों के पेट में कीड़े हो जाने पर उन्हें १ चम्मच मेथी के पत्तों का रस रोज़ पिलाने से लाभ होगा.

अन्य रोगों में उपयोग: 

  • सुबह खाली पेट एक चम्मच मेथी दाना लेने से खून में शर्करा(सुगर) की मात्रा भी कम होती है.
  • मेथी दाना कब्ज़ ( constipation ) को दूर करता है जिससे कई रोग होने का खतरा रहता है. कब्ज़ के रोगी को रोज़ सुबह शाम एक एक चम्मच मेथी दाना लेना चाहिए. इससे उच्च रक्त चाप, मधुमेह, मानसिक तनाव आदि में फ़ायदा मिलता है.शरीर संतुलित तथा सुडौल रहता है तथा न तो मोटापा चढ़ता है और ना ही कमजोरी रहती है. इसमे विटामिन A प्रचुर मात्रा में होने से आँखों के रोग जैसे रतोंधी आदि दूर होते है.
  • मेथी का साग तथा दाना खाने से खून की कमी दूर होती है क्योंकि इसमे लोहे का तत्व प्रचुर मात्रा में होता है. 
  • इसकी चाय बना कर पीने से पेट की जलन दूर होती है. 
  • मेथी के बीज की रासायनिक बनावट काड लीवर आयल के समान होती है अतः यह शाकाहारियों के लिए मछली के तेल का अच्छा विकल्प है. 
  • इसके प्रयोग से रक्त में कोलेस्ट्रोल की मात्र कम हो जाती है. और उच्च ब्लड प्रेशर भी संतुलित रहता है. 
  • अंकुरित मेथी दाने में कैंसर को नियंत्रित करने वाली विटामिन बी १७ भी विशिष्ट मात्र में पाया जाता है.

मेथी गरम और खुश्क होती है अतः तेज़ गरमी के मौसम में इसका प्रयोग नहीं करना चाहिए.

Saturday, October 22, 2011

हेल्थ टिप



भारतीय व्यंजनों (दाल, सब्जियों, करी इत्यादि) में उनको  बनाने के बाद हरे धनिये की पत्तियों को बारीक काट कर उससे गार्निश  किया जाता है. उसी प्रकार  अन्य हरी पत्तेदार सब्जियों जैसे मेथी, पालक तथा बथुआ इत्यादि को भी बारीक़ काटकर गार्निश करने के लिए प्रयोग किया जा सकता है . इससे आपके व्यंजन देखने में सुन्दर तो लगेंगे ही, वे अपने अन्दर हरी पत्तेदार सब्जियों की पौष्टिकता से भी भरपूर  होंगे.

Indian culinary preparations like curries and vegetables etc are garnished with nicely cut green coriander leaves. In the same way nicely cut other green leafy vegetables like fenugreen (Methi), spinach (palak) etc can be used to garnish these preparations. It will not only make them more beautiful but would also make them more nutritious.

Friday, October 21, 2011


Aloe vera - A Wonder Herb
Aloe vera is an easily available herb found almost everywhere, growing naturally in dry and arid sandy areas. It is said to have spread from its original areas of occurrence in South America & Spain. It is understood that it came to India probably during the 16th century. Though there are about 250 species of Aloe worldwide but only about 5 of them are rich in medicinal properties. Out of these - Aloe vera is the most abundantly found species in India.
Different Names:
Aloe is known as Ghritkumari in Sanskrit, Gheekwar or Gwarpatha in Hindi, Kuwarpatha in Gujarati, Lonasera in Kannada, Kumari in Malayali an Aloe vera in Latin.
A Treasure of nutritional substances:
Aloe is a treasure house of nutritional elements being rich in 75 of them- including minerals, amino acids, vitamins, enzymes and different kinds of sugars etc. It contains 19 of the 20 amino acids which are essential for human beings. This is also the only natural source of Vitamin B12.
Uses:
It is probably one of the most widely used herbs in the entire world. It is used in the form of pulp, juice or Gel extracted from its leaves. As it has antibiotic properties, it helps in various diseases & ailment by activating the immune system of the body. Aloe vera is a blood purifier and good for skin diseases.
It reduces blood sugar in diabetics if taken in the form of juice. Its pulp if applied externally, causes early healing of wounds. It not only reduces pain but also heals wounds by activating formation of new skin.
It improves skins health and reduces the aging process by slowing down the wrinkle formation. It does so by fighting the aging related changes as it is an antioxidant. It also helps in improving the skin texture erasing blemishes and dark spots. Due to its numerous advantages its gel is an important ingredient in manufacture of various cosmetic creams, soaps, skin creams & fairness creams etc.
Use of aloe vera gel on burnt wounds not only reduces pain but also helps in early recovery & healing of the wound.
Drinking aloe vera juice mixed with turmeric powder is effective in reducing fever. It also helps in correcting tight motions.
Commercial Production:
Due to its innumerable uses it is being commercially grown in several sates in India like Rajasthan, UP, Madhya Pradesh, Uttaranchal, Haryana, Maharashtra, Gujarat & Andhra Pradesh etc. It is also being used in making of different types of shampoos, moisturisers, antiseptic creams & health drinks etc.

However it is advised that infants and pregnant women should refrain from its use.
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Wednesday, October 19, 2011

विभिन्न रोगों से बचा सकता है पुदीना


औषधियुक्त पौधा है पुदीना

पुदीना भारत में प्रायः सभी जगह पाया जाता है. यह एक सुगन्धित औषधियुक्त पौधा है जो घास की तरह कहीं  भी उगाया जा सकता है. पुदीना एक छोटी  सी  हर्ब है जो नमी वाली भूमि पर आसानी से उगता है इसके फूल सफ़ेद-नीले रंग के होते हैं.
यह पचने में आसान, कफ दूर करने वाला तथा ज्वर, खांसी, जुकाम, त्वचा रोग तथा पेट के कीड़े उलटी आदि रोगों को दूर करने वाला  पौधा है.

विभिन्न नाम:                                 
इसे हिंदी,बंगाली,गुजराती, मराठी,तमिल एवं तेलुगु में पुदीना,कन्नड़ में पुदीना सप्पू,  उड़िया में पोदना के नाम से जाना जाता है. विदेशी भाषाओँ में फ्रेंच में baume vert , जर्मन  में bachmunze ,  सिन्धी में फुदिना तथा सिंघली भाषा में मिंची, इंग्लिश में spearmint तथा लेटिन में Mentha  spicata नाम से जाना जाता है.

पाचन तंत्र में पुदीना:
भोजन के बाद पुदीना की ३-४ पत्तियां खाने से भोजन पचने में आसानी रहती है. इसकी चटनी भी पेट के रोगों में बहुत फायदा देती है. पुदीने के रस में नींबू तथा पानी मिलाकर पीने से गैस के कारण होने वाला दर्द दूर होजाता है तथा इसके अर्क से पेट दर्द, अपच, वायु एवं उलटी आदि में आराम मिलता है.

ज़ुकाम खांसी में उपयोग :
सर्दी, जुकाम तथा  खांसी होने पर पुदीना काली मिर्च, बड़ी इलाइची, नमक और ज़रा सा गुड मिलकर काढ़ा बनाकर पीने से लाभ होता है. अदरख और पुदीने के रस में शहद मिलाकर पीने से सर्दी जुकाम में आराम पहुंचता है.

अन्य रोगों में उपयोग:
गर्मियों में लू लगने और सिरदर्द में पुदीने के प्रयोग से फायदा होता है क्योंकि यह शीतल होता है. पुदीने के रस को अदरक के रस के साथ १-१ चम्मच दिन में दो बार लेने से मलेरिया में आराम मिलता है. घाव पर या ज़हरीले कीड़े के काटने पर पुदीने  के पत्तों का रस लगाने से आराम मिलता है. इसके तेल की खुशबु से मच्छर भाग जाते हैं. इसके पत्तों को चबाने या अर्क को पानी में मिलाकर कुल्ले करने से मुंह  की दुर्गन्ध दूर होती है. चेहरे पर पुदीना का लेप लगाने से गर्मी के कारण होने वाले फोड़े, फुंसियों तथा मुहांसों में आराम मिलता है. इसकी  पत्तियों को सुखाकर उनका पावडर बनाकर भी उपयोग में लाया जा सकता है

Monday, October 17, 2011

आज की हेल्थ टिप

                कांच के बर्तन मे पानी लेकर उसमे तुलसी की कुछ पत्तियां  डालकर धूप मे २ - ३ घंटे रखकर उसे पीने से सर्दी,जुकाम, जोड़ों के दर्द तथा नर्वस सिस्टम के रोगों मे फायदा मिलता है.
            Take drinking water in a glass jar, put few leaves of Tulsi in it and keep in sunlight for 2-3 hours. Drinking this water helps in cold, cough, joint pain and nervous system related ailments.

Sunday, October 16, 2011

TULSI
(Holy Basil)

There was a time when mankind was very close to Mother Nature. It provided him with food and whenever he became ill, he got medicine also from nature. Urban lifestyle of today has driven people away from nature and they are more and more forgetting the importance and utility of most of these plants. One such plant with multiple utility values is Tulsi.

Tulsi is found in almost all the Hindu households in our country and it is worshipped religiously.Its religious importance in Hindu culture can be understood from the fact that it is one of the essential ingredients of prasadam & Charanamruta.

The Plant
It is a small annual plant and there are many verities. However Ram Tulsi (with light green leaves) and Shyam Tulsi (with blackish leaves) are most common verities. Both of them have almost similar properties despite difference in colour.

Different Names
Tulsi is known by different names in different languages- eg. Gauri or Vrinda in Sanskrit, Shree Tulsi in Kannada and Holy Basil in English. It is also known as Ocimum sanctum in Latin. Due to its being supposedly close to Lord Vishnu it is also named as Vishnupriya or Haripriya.

In Indian culture this plant is said to be the abode of all the Gods, therefore one is said to receive the blessings of all of them by worshipping Tulsi. As it possess lots of antibiotic properties, just touching, protecting and watering it helps in bestowing most of its blessings to the person in the form of these properties.

Uses:
All the different parts of the plant like leaves, flowers, roots and bark can be used. As the plant contains antibiotic properties in its different parts, it is generally used to cure or contain contagious & infectious diseases. Because of its antibiotic properties it is said that a Tulsi stand cleans atmosphere to miles around it.
  • It is good for heart and easily digestible. It corrects the deficiencies in blood and helps in curing vomiting, hiccups, epilepsy and fever etc. Taking few leaves of Tulsi daily cures many diseases and is good for the overall health and digestion.
  • 10 leaves of Tulsi, 5 black pepper, 5 almonds if ground with a little honey and taken, help in improving memory.
  • Leaves of Tulsi are specific for many fevers. During rainy season its leaves boiled with tea, act as preventive against various types of fever.
  • Juice of Tulsi and lemon if taken in equal proportion helps in curing headache. Few drops of its juice if applied into nose or rubbed on forehead also cure headache.
  • Sucking 2-3 leaves of Tulsi after meals removes bad odour and is good for teeth and gums& infections.
  • Alkaloids found in Tulsi are helpful in detoxification of skin.
  • Putting few leaves of Tulsi in water helps in purification of water.

Due to its multifarious uses the plant of Tulsi has been accorded a very high and exalted place in Hindu culture. We should plant more and more seedlings of Tulsi and use them daily. As Tulsi contains natural Mercury, which may be harmful to teeth if leaves are chewed, therefore it is suggested that leaves should be swallowed with water and not chewed.

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Thursday, October 13, 2011

संक्रामक रोगों मे रामबाण है तुलसी



हमारे देश मे सभी हिन्दुओं के घरों मे तुलसी के पौधे पाए जाते हैं तथा बड़ी श्रद्धापूर्वक पूजा की जाती है. इसकी कई प्रजातियाँ पाई जाती हैं. लेकिन दो मुख्य हैं, सफेद तुलसी - राम तुलसी तथा काली तुलसी या श्याम तुलसी. दोनों के रंग मे अंतर होता है लेकिन गुण एक जैसे ही होते हैं.
तुलसी को अलग अलग भाषाओँ मे अलग अलग नामों से जाना जाता है. जैसे संस्कृत में गौरी, सुलभा या वृंदा, कन्नड़ में श्रीतुलसी, अंग्रेजी में होली बेसिल इत्यादि. लैटिन भाषा में इसे औसिमम सेंक्ट्म (Ocimum sanctum ) का नाम दिया गया है. भगवान विष्णु को प्रिय होने के कारण तुलसी को हरिप्रिया तथा विष्णुप्रिया भी कहा गया है. भारतीय संस्कृति में तुलसी में समस्त देवताओं का निवास बताया गया है. अतः जो लोग उसकी पूजा करते हैं उन्हें अनायास ही सभी देवताओं की पूजा का लाभ मिल जाता है, ऐसा कहा गया है. तुलसी एक परम रोगाणुनाशक पौधा है जिसे लगाने व रक्षा करने, पानी देने, छूने तथा देखने मात्र से वाणी, मन व काया के समस्त दोष दूर होते हैं. हिन्दू संस्कृति मे इसके धार्मिक महत्व को इसी से समझा जा सकता है की पूजा के  जल तथा  भगवान  के  प्रसाद ( चरणामृत) बनाने में तुलसी का उपयोग अनिवार्य है.
तुलसी के प्रयोग
तुलसी के पते, फूल, फल, जड़, छाल, तथा तना इत्यादि सभी पवित्र सेवनीय हैं. इसके हर हिस्से मे रोगाणुनाशक गुण होने से संक्रामक रोगों मे इनका अधिकतम प्रयोग किया जाता है. इन गुणों के कारण ही कहा जाता है कि जहाँ तुलसी का जंगल होता है वहां आसपास कोसों दूर तक वायुमंडल भी शुद्ध रहता है.
अनगिनत फायदे
तुलसी के अनगिनत फायदों के कारण ही इसे हिन्दू धर्म मे अत्यंत उच्च स्थान दिया गया है. हमे अधिक संख्या मे इसके पौधों का रोपण तथा इसका सेवन करना चाहिए. इसके पतों को पानी से ही निगलना चाहिए. क्योंकि इनमें प्राकृतिक रूप से पारा होने के कारण दांतों को नुकसान पहुँच सकता है.
पांव के अंगूठे से सिर तक निर्मल
यह वाणी (मुख, गला,दांत,मसूड़े व् फेफड़े) मन (ह्रदय,दिमाग,व नर्वस सिस्टम) और काया (पांव के अंगूठे से सिर तक) को निरोग व निर्मल कर देती है. इसीलिए इसे अमृत माना गया है. तुलसी के पतों का रस तथा नीबू का रस समान मात्रा मे लेने से सिर दर्द दूर होता है. इसके रस को कनपटी पर मलने से भी सरदर्द मे आराम मिलता है. भोजन के बाद २-२ तुलसी के पते मुंह मे रखकर चूसने से मुंह की दुर्गन्ध दूर होती है तथा दांतों व मसूड़ों के विकार मिटते हैं. दूषित पानी मे इसकी कुछ ताज़ी पतियाँ डालने से पानी का शुद्दिकरण भी किया जा सकता है.
पाचन व् स्मरण शक्ति बढाए
तुलसी ह्रदय के लिए हितकारी, पचने मे हल्की,कफ तथा वात को दूर करने वाली, रक्त विकार, उल्टी, हिचकी, पेट के कीड़े, मिर्गी तथा बुखार को दूर करने वाली है. इसकी ६-७ पत्तियों का प्रतिदिन सेवन करने से बहुत से रोग दूर होते हैं तथा बुद्धि,बल, स्फूर्ति और स्वस्थ्य अच्छा बना रहता है तथा पाचन शक्ति भी अच्छी रहती है. इसके दस पत्ते पांच काली मिर्च, पांच बादाम तथा थोडा सा शहद मिलकर ठंडाई की तरह पीने से स्मरण शक्ति बढती है.



प्रकृति ने हमें जो अद्भुत जड़ी बूटियाँ दी हैं , उनके सही इस्तेमाल से हम स्वस्थ जीवन जी सकते हैं. इन्ही सब विषयों पर लिखने का प्रयास है. उम्मीद है कि आप सभी इसे पसंद करेंगे तथा लाभ उठा सकेंगे. इन विषयों पर समाचारपत्रों में भी लिखती रही हूँ उन्हें भी इस ब्लॉग के माध्यम से अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचाने की यह एक कोशिश है.