Tuesday, November 13, 2012

ब्राह्मी


ब्राह्मी भारतवर्ष में जलाशयों तथा नदी के किनारों पर एवं नम स्थानों पर ज़मीं पर फैलने वाली बहुवर्षीय लता है जिसके पत्ते छोटे, गोल तथा गुर्दे के आकार के होते हैं. यह उत्तर भारत में गंगा के किनारे तथा विशेष रूप से हरिद्वार से बद्रीनाथ के मार्ग में अधिक मात्रा में मिलती है. बुद्धिवर्धक होने के कारण इसे यह नाम दिया गया है.
विभिन्न नाम:  इस वनस्पति को संस्कृत में मंदुकपरनी, तमिल में वल्लरी तथा उर्दू में बरह्मी, बंगाली में पोटरी, गुजराती में बरमी, कन्नडा में ओंदेलेगा  तथा मराठी में ब्राह्मी के नाम से जाना जाता है. इसका लातिन भाषा में वानस्पतिक नाम Centella asiatica है.
ताज़ी हरी पत्तियों में एक तैलीय पदार्थ वलेरीन होने के कारण एक ख़ास सुगंध होती है, जो सूखने पर गायब हो जाती है.
उपयोग:  
  • यह बहुपयोगी नर्व टॉनिक है जो मस्तिष्क को शक्ति प्रदान करता  है . इसके प्रयोग से एकाग्रता बढ़ती है अतः इसकी मुख्य क्रिया मस्तिष्क, ह्रदय तथा स्नायुविक संस्थान पर होती है. यह कमज़ोर स्मरण शक्ति वालों तथा दिमागी काम करने वालों के लिए विशेष लाभकारी है.
  • ब्राह्मी का पावडर अल्प मात्रा में (२ ग्राम) दूध में मिलाकर छानकर लेने से अनिद्रा के रोग में फायदा होता है.
  • ब्राह्मी का शरबत उन्माद रोग में लाभकारी होता है तथा गर्मियों में दिमाग को ठंडक प्रदान करता है.
  • शहद के साथ इसके पत्तों का रस प्रयोग करने से उच्च रक्तचाप में लाभ मिलता है.
  • बच्चों में दस्त लगने  पर तीन अथवा चार पत्तियां जीरा तथा चीनी के साथ मिलाकर देने से तथा इसके पेस्ट को नाभि के चारों ओर लगाने से आराम मिलता है.
  • त्वचा सम्बन्धी विकारों जैसे एक्जीमा तथा फोड़े फुंसियों पर इसकी पत्तियों के चूर्ण को लगाने से फायदा होता है.
  • हाथीपाँव की शिकायत में सूजे हुए अंग पर इस पौधे के तने तथा पत्तियों का रस लगाने से सूजन कम करने में मदद मिलती है.
  • चटनी बनाते समय ब्राह्मी के कुछ पत्ते चटनी  में डाल कर इसका लाभ उठाया जा सकता है.
बाज़ार में ब्राह्मी का पावडर व गोलियां मिलती  हैं जिन्हें चिकित्सक की सलाह पर प्रयोग किया जा सकता है. इसके अधिक मात्रा में प्रयोग से कभी कभी त्वचा में खुजली तथा लालिमा हो सकती है अतः इसका कम मात्रा में ही प्रयोग करना उचित है.

Monday, June 11, 2012

बेल

            बेल का पेड़ सारे भारत में पाया जाता है. यह पहाड़ों पर भी देखने को मिलता है तथा खासतौर पर सूखी पहाड़ियों पर भी उगता है. इसके प्रत्येक पत्ते में शिव जी के त्रिशूल की भांति ३  छोटी पत्तियां होती हैं. तथा फल गोल तथा पत्थर की भांति कडा होता है किन्तु फल का गूदा बड़ा ही स्वादिष्ट तथा मीठा होता है. इसे खासतौर पर गर्मी के मौसम में शरबत  के रूप में प्रयोग किया जाता है. इसके गूदे में हमारे शरीर के लिए आवश्यक  शर्करा, कैल्शियम, मैग्नीशियम, फोस्फोरस तथा लौह आदि तत्व पाए जाते हैं जिनमे फोस्फोरस विशेष रूप से हमारे मस्तिष्क की चेतना के लिए आवश्यक है.
           इसके पेड़ को अत्यंत पवित्र माना जाता है  तथा इसमे देवताओं के समान गुण पाए जाते हैं. इसके पत्तों को भक्त लोग बड़ी श्रद्धा से भगवान शिव पर चढाते हैं.
इसके विभिन्न नाम :
इसे हिंदी में बेल, संस्कृत में बिल्व, गुजराती में बीली, कन्नड़ में बिल्व पत्र, तमिल में बिल्वं तथा लेटिन में Aegle marmelos के नाम से जाना जाता है. इसके अलावा इसे शांडिल्य भी कहते हैं जिसका अर्थ है पीड़ा दूर करने वाला.
            इसके फूल पत्ते, छाल तथा जड़ का प्रयोग आयुर्वेदिक चिकित्सा में प्रयोग किया जाता है  तथा  यह  छोटे बच्चों से लेकर बड़े बूढों तक के लिए महा औषधि है.
पेट के रोगों में बेल:
*अपच, भूख न लगना, पेट में जलन, अजीर्ण कब्ज़, उल्टी तथा गैस की शिकायत होने पर बेल का शरबत बना कर उसमे काला नमक, इलायची, जीरा तथा दालचीनी चुटकी भर डाल कर प्रयोग करें.
* बेल के गूदे में सेंधा नमक, ज़रा सी हींग तथा ३ दाने काली मिर्च मिलाकर सेवन करने से भी अपच आदि में लाभ होता है.
* बेल का मुरब्बा कब्ज़ तथा पेचिश में बहुत लाभदायक होता है.
स्नायु सम्बन्धी रोगों में बेल:
* गर्मी के मौसम में बाहर निकलने से पहले बेल का शरबत पीने से गर्मी तथा लू से होने वाले रोगों से बचा जा सकता है.
* सर दर्द और चक्कर आने पर भी बेल का शरबत फायदा पहुंचाता है.
अनिद्रा में बेल का प्रयोग:
* नींद न आने पर पानी में सौंफ को भिगो  कर  तथा  छानकर इस पानी को बेल के शरबत में मिलाकर पीने से लाभ होता है.
* यह स्मरण शक्ति भी बढाता  है तथा अनिद्रा को दूर करता है.
अन्य रोगों में बेल का प्रयोग:
* बेल के शरबत में आधी चम्मच पिसी हल्दी मिलाकर पीने से पेट के कीड़े नष्ट हो जाते हैं.
* इसके पत्तों का रस मधुमेह (diabetes) में रक्त शर्करा को नियंत्रित करता है.
* ज़ुकाम तथा  इसके  कारण  आने वाले हलके बुखार में इसके  फलों का ताज़ा रस ह्रदय तथा मस्तिष्क को शक्ति प्रदान करता है.
*बेल का शरबत पीते रहने से पेट में विकार नहीं बनते  तथा इसके बहुत से गुणों के कारण इसे अमृत फल भी कहा गया है.
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Sunday, March 11, 2012

हेल्थ टिप

ब्लड प्रेशर की शिकायत में Ylang- ylang तेल बहुत ही लाभदायक है तथा विभिन्न प्रकार से उपयोग करने से  उच्च  ब्लड प्रेशर (High blood pressure) को कम करने में मदद मिलती है. 
  •  इस तेल की कुछ बूंदों को एक रूमाल पर डाल कर बार बार सूंघें या माथे पर लगाएं.
  • कुछ बूँदें  पानी में डाल कर नहायें  
  • या पैरों के तलवों पर लगाएं.
Ylang-ylang oil is very useful in normalizing  high blood pressure. Take a few drops of this oil in a hanky and inhale or rub on the forehead. Bathing  with water after adding few drops of this or foot-massaging  with this oil is very helpful in reducing the high blood pressure.

Wednesday, February 8, 2012

काली मिर्च


काली मिर्च महत्वपूर्ण मसालों में से एक है तथा 'king of spices'  के नाम से जानी जाती है. यह एक सदाबहार बेल है जो दक्षिण भारत में अधिकतर कौफी  स्टेट्स  आदि में दूसरे पेड़ों पर चढ़ी  हुई पायी जाती है. वैसे तो मूलत यह दक्षिण भारत के वेस्टर्न घाट्स में पाई जाती है किन्तु अब इसे अधिकतर ट्रौपिकल देशों में उगाया जाता है.भोजन में  काली मिर्च का उपयोग गर्म मसाले मे किया जाता है.
मसाले के अतिरिक्त काली मिर्च का उपयोग कई रोगों में भी किया जाता है.
१. नेत्र रोगों में:

  • काली मिर्च का प्रयोग नेत्र ज्योति में बड़ा सहायक होता है. इस के पावडर को शुद्ध देसी घी के साथ  मिलाकर खाने से आँखों की ज्योति के साथ साथ आँखों के कई रोग भी दूर होते हैं.

२. श्वास सम्बन्धी रोगों में: 

  • आधी चम्मच काली मिर्च के पाउडर को थोड़े गुड में मिलाकर इसकी छोटी छोटी गोलियां बनाकर चूसने से खांसी में आराम मिलता है. 
  • पानी में तुलसी, काली मिर्च, अदरख, लौंग व् इलाइची डालकर उबालकर इसकी चाय बनाकर पीने से ज़ुकाम व् बुखार में लाभ होता है. 
  • बारीक  पिसी काली मिर्च, मुलहठी और मिश्री मिलाकर रख लें, इस मिश्रण को एक चुटकी शहद के साथ मिलाकर खाने से गले की तकलीफ में लाभ होता है तथा आवाज़ भी साफ होती है.

३. पाचन तंत्र सम्बन्धी रोगों में: 

  • काली मिर्च को किशमिश के साथ मिलाकर २-३ बार चबाकर खाने से पेट के कीड़े दूर होते हैं. 
  • छाछ में काली मिर्च पाउडर मिलाकर पीने से पेट के कीड़े मर जाते हैं .
  • नीबू के टुकड़ों से बीज निकालकर इसमें पिसा काला नमक और काली मिर्च पाउडर भरकर गर्म करके चूसने से बदहजमी में लाभ होता है. 
  • एक कप गर्म पानी में ३-४  पिसी काली मिर्च के साथ नीम्बू का रस  मिलाकर पीने से गैस की शिकायत दूर होती है.

४. विभिन्न रोगों में :

  • नमक के साथ पिसी काली मिर्च मिलाकर दातों में मंजन करने से पायरिया ठीक होता है तथा दांत भी मज़बूत और चमकदार होते हैं. 
  • पिसी काली मिर्च को थोड़े से शहद के साथ मिलाकर लेने से स्मरण शक्ति बढ़ती है. 
  • खाने में लाल मिर्च की जगह काली मिर्च का प्रयोग करना अधिक फायदेमंद होता है. 
  • पानी के साथ काली मिर्च को पीसकर उस लेप को लगाने से सूजन दूर होती है. 
  • पिसी काली मिर्च  को तिल के तेल में जलने तक गरम करें. ठंडा करके इस तेल को मांस पेशियों  पर लगाने से गठिया के दर्द में फायदा होता है.
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Thursday, January 5, 2012

हेल्थ टिप


 थके हुए पैरों को आराम देने के लिए ३ ड्रॉप रोजमेरी आयल , ३ ड्रॉप लेवेंडर आयल , ३ ड्रॉप ऑरंज आयल  और ३ ड्रॉप पिपरमिंट आयल को  आधा बकेट हलके गुनगुने  पानी में डाल कर इसमें करीब २० मिनट के लिए अपने पैरों को रखें. इस ऐरोमेटिक फुट - बाथ से पैरों की थकान दूर होगी तथा आराम मिलेगा. इन्ही तेलों को ३० मि. ली. कैरिएर आयल में मिलाकर  मालिश करने के लिए भी प्रयोग किया जा सकता है.



To relax your tired feet, mix 3 drops each of Rosemery, Lavender , Orange and peppermint oils  in half a bucket of luke warm water. Now put your feet in this water for about 20 minutes and enjoy this aromatic foot-bath. It will relax and refresh your feet. These oils can also be blended in 30 ml of carrier oil and used for foot massaging.